Hindi Webinar by HRDC
July 31, 2023 2023-07-31 10:16Hindi Webinar by HRDC
Hindi Webinar by HRDC
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दिल्ली पब्लिक स्कूल सोसायटी के मानव संसाधन कंेद्र्र द्वारा दिनांक 03 जुलाई से 07 जुलाई 2023 तक हिंदी के भिन्न-भिन्न विषयों पर पाँच दिवसीय कार्यशाला (वेबिनार) का आयोजन किया गया। हिंदी कार्यशाला (वेबिनार) के प्रथम दिवस में एच0 आर0 डी0 की कार्यकारी निदेशिका ने कार्यक्रम की रूपरेखा से सभी प्रतिभागियों को अवगत करवाया। उन्होंने अपने प्रारंभिक संबोधन में हिंदी भाषा के महŸव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी केवल भाषा मात्र नहीं है बल्कि संपूर्ण संस्कृति , भावनात्मकता ,मौलिक चिंतन व सृजनात्मकता से जुड़ने का माध्यम है जो सार्वभौमिक संस्कृति का संदेश देती है। उन्होंने उपस्थित प्रतिभागियों सेे अपने व्यक्तित्व के विकास के साथ-साथ बच्चों सहित संपूर्ण विद्यालय के विकास के प्रति प्रतिबद्ध रहने का आह्वान किया। कार्यशाला के प्रथम सत्र का संचालन जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, दिल्ली की प्रोफेसर डॉ0 गरिमा श्रीवास्तव द्वारा किया गया,जिसका विषय ‘हिंदी की चुनिंदा कहानियों का पुनर्पाठ‘था। जिन्होंने हिंदी साहित्य की उत्कृष्ठ कहानियों जैसे ईदगाह,उसने कहा था, दुख का अधिकार,चीफ की दावत, बूढ़ी काकी आदि कहानियों के परिवेश संबंधी चर्चा की। उन्होंने समझाया कि विद्यार्थियों को कहानी सामयिक रूप में पढ़ाई जाए जिससे वे जीवन के यथार्थ को समझ सकें। बच्चो में भावनात्मकता एवं संवेदनशीलता विकसित करनी चाहिए। साहित्य में रुचि जाग्रत करना ही इस वेबिनार का मुख्य उद्देश्य था क्योंकि ‘सर्वजन हिताय की भावना ’साहित्य ही जगा सकता है। कार्यशाला के द्वितीय सत्र का संचालन दिल्ली विश्वविद्यालय के जीसस एंड मेरी कॉलेज की हिंदी विभाग की डॉ0 अमिता तिवारी ने किया। उन्होंने कार्यक्रम के विषय काव्य खंड पाठन और पठन पर प्रभावशाली वक्तव्य देते हुए कहा कि विद्यार्थियों को संवेदनशाली बनाने के लिए मानवीयता का भाव उत्पन्न करने के लिए ,उनमें मानवीय मूल्यों का संचार करने के लिए कविता का पठन पाठन आवश्यक है। काव्य लेखन में अभिरुचि विकसित करना ही इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य था। कार्यशाला के तीसरे सत्र की संचालिका दिल्ली विश्वविद्यालय मिरिंडा हॉउस कॉलेज की हिंदी विभाग की प्रोफेसर डॉव्म् निशा नेग थी। जिनका विषय था ष्हिंदी व्याकरण: सिद्धांत और व्यवहार। हिंदी भाषा में डॉव्म् निशा नेग जी ने छात्रों को व्याकरणिक नियमों को ध्यान में रखते हुए पठन – पाठन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कहा। हिंदी अध्यापक-अध्यापिकाएँ स्वयं भी वाचन के समय पूर्ण रूप से लयात्मकता एवं उच्चारण की शुद्धता का ध्यान रखें। वाचन के समय केवल पाठ न करके पाठ में प्रयुक्त व्याकरण के सिद्धांतों से भी छात्रों को परिचित कराएँ। समय-समय पर व्याकरण के नियमों की पुनरावृत्ति करवाने पर भी बल दें। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य भाषा का शुद्ध ज्ञान कराने के लिए व्याकरणिक नियमों व व्याकरणिक प्रकार्यों पहचान कराना था। कार्यशाला के चौथे सत्र में
आमंत्रित मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय लेडी श्रीराम कॉलेज की हिंदी विभाग की प्रोफेसर डॉव्म् प्रीति प्रजापति ने अभिव्यक्ति कौशल का विकास: चुनौतियाँ और संभावनाएँ विषय के अंतर्गत हिंदी भाषा के प्रभाव और इसके प्रति आमजन की मानसिकता के विषय में चर्चा करते हुए विद्यालयों में किस प्रकार विद्यार्थियों का रुझान बढ़ाया जाए, उस पर अपने विचार प्रकट किए। भाषा एवं लेखन कौशल का विकास किस तरह किया जाए और इस क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों को व्यावहारिक रूप से हल के उपाय भी बताए। इस कार्यशाला (वेबिनार) के अंतिम सत्र का संचालन दिल्ली विश्वविद्यालय शिवाजी कॉलेज के हिंदी विभाग के प्रो0 डॉ0 वीरंेद्र भारद्वाज द्वारा किया गया ,जिनका विषय था ‘रचनात्मक लेखन’। डॉ0 वीरंेद्र भारद्वाज जी ने सत्र का आरंभ अत्यंत रोचक ढंग से कहानी एवं विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से किया। सर्वप्रथम उन्होंने रचनात्मकता के बारे में बताया कि रचनात्मकता वस्तुतः आत्माभिव्यक्ति है जो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मौजूद हो सकती है तथा यह शौक से,अनुभूति से व आवश्यकता से उत्पन्न होती है। इसी के साथ उन्होंने रचनात्मकता के विभिन्न उपकरणों व क्षेत्र विस्तार पर प्रकाश डाला और कहा हमारा क्षेत्र मोटे तौर पर साहित्य से जुड़ा क्षेत्र है और कुछ सूचना तंत्र से जुड़ा हुआ लेखन है। तत्पश्चात् रचनात्मकता लेखन के समय विद्यार्थियों के समक्ष आने वाली चुनौतियों,उसके समाधान तथा विद्यार्थियों को रचनात्मक लेखन के लिए कैसे प्रेरित किया जाए पर विस्तृत चर्चा की। डॉ0 वीरंेद्र भारद्वाज ने प्रतिभागियों के विचार बिंदुओं को भी अत्यंत धैर्यपूर्ण सुना और सभी शंकाओं को समाधान किया। यह संपूर्ण सत्र अत्यंत ज्ञानवर्धक , रोचक बोधगम्य प्रभावशाली तथा सकारात्मक दृष्टिकोण से ओत-प्रोत था। सभी प्रतिभागी शिक्षक वक्ताओं के असीम ज्ञान भंडार से हतप्रभ थे और साथ ही सभी के लिए वे प्रेरणासा्रेत भी बने। सत्र का समापन धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।
स्व की रागात्मक अनुभूति सभी की अनुभूति बन जाए
और अभिव्यक्ति-कौशल से आनंद की सृष्टि करें
वही असली रचनात्मकता है।
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